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छत्तीसगढ़-कड़ाके की ठंड से नए साल का स्वागत, ठंडी हवाओं की कंपकंपी में अलाव बना सहारा

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रायपुर।

मैकल पर्वत श्रंखला और अमरकंटक की तराई में बसे पेंड्रा गौरेला मरवाही इलाके में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। नए साल के पहले दिन घने कोहरे से पूरा क्षेत्र कोहरे की चादर में लपटा नजर आया। मौसम साफ होते ही ठंड का एहसास कुछ ज्यादा ही हो रहा है। वहीं उत्तर भारत में हो रही बर्फबारी के चलते भी दिन के वक्त भी लोग गर्म कपड़े पहने नजर आ रहे हैं।

मौसम खुलते ही तापमान नीचे की ओर लुढका और यहां न्यूनतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ओस की बूंदे भी जमने लगी है। तो लोग ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे है। नये साल के पहले दिन पेंड्रा गौरेला मरवाही इलाके में कड़ाके की ठंड शुरू हो गई। उत्तर भारत में हो रही लगातार बर्फबारी का असर इस इलाके में भी देखने को मिल रहा है। इलाके का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। यहां पर लगातार तापमान में गिरावट के साथ दिन के समय भी ठंडी-ठंडी हवाएं चल रही हैं। लोग दिन के समय भी गर्म कपड़े पहनने को मजबूर हैं। हालांकि दिन के वक्त धूप निकलने की वजह से ठंड से थोड़ी राहत जरूर मिल रही है। हालांकि, ठंड की वजह से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। वहीं मैकल पर्वत श्रंखला और अमरकंटक की तराई में बसे ग्रामीण क्षेत्रों में ओस की बूंदे भी जमने लगी है। तो ठंड से बचने के लिए लोग चाय की चुस्की का सहारा भी ले रहे हैं। चाय की गर्म-गर्म चुस्कियां लेते लोग सुबह से ही ठेलो में नजर आने लग जाते हैं। हालांकि अब तक चौक चौराहों में प्रशासन के द्वारा अलाव जलाने की व्यवस्था नहीं की गई है। यह कहा जा सकता है कि उत्तर भारत में हो रही बर्फबारी के बाद उत्तरी हवाओं के असर के चलते ही इलाका कड़ाके की ठंड और शीतलहर की चपेट में है।

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