आधुनिक युग की मांग के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण योजनाओं के समन्वय पर कार्यशाला आयोजित
सचिव रघुराज राजेन्द्रन ने कहा कि आधुनिक समय में कौशल विकास योजनाओं को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए, जो रोजगारोन्मुखी हो
कौशल विकास प्रशिक्षण योजनाओं पर 32 विभागों ने आपसी समन्वय पर की चर्चा
भोपाल
तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग द्वारा वल्लभ भवन, मंत्रालय में कौशल प्रशिक्षण योजनाओं को आधुनिक युग की मांगों के अनुरूप तैयार करने और अधिकाधिक युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में 31 विभागों ने कौशल विकास प्रशिक्षण योजनाओं पर आपसी समन्वय पर गहन चर्चा की। कार्यशाला की अध्यक्षता तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार सचिव रघुराज राजेन्द्रन (आईएएस) ने की।
सचिव रघुराज राजेन्द्रन (आईएएस) ने कहा कि आधुनिक समय में कौशल विकास योजनाओं को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए, जो रोजगारोन्मुखी हो। उन्होंने कहा कि कौशल विकास को प्रोत्साहित करने के लिए दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को आईटीआई परिसरों का दौरा करवाना चाहिए, जहां वे विभिन्न ट्रेड्स और कैरियर विकल्पों को समझ सकें। इसके साथ ही विद्यार्थियों के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट क्लासेस और कैरियर गाइडेंस प्रोग्राम आयोजित किए जाने चाहिए, ताकि वे अपनी रुचि और क्षमताओं के अनुरूप अपने कैरियर की योजना बना सकें।
सचिव राजेन्द्रन ने इस बात पर जोर दिया कि स्कूल के बाद विद्यार्थी समानांतर रूप से कई ट्रेड्स में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनके कौशल और रोजगार के अवसरों में व्यापकता आएगी। उन्होंने ग्रामीण और जनजाति समुदायों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन समुदायों के लोगों को उनके पारंपरिक व्यवसायों में और अधिक कुशल बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। यह पहल उनके रोजगार को मजबूत करने और उनकी आजीविका में सुधार लाने में सहायक होगी। कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न विभागों में संचालित कौशल प्रशिक्षण योजनाओं का समन्वय करना और उन्हें साझा प्लेटफॉर्म पर लाने के उपायों पर चर्चा करना था।
सचिव राजेन्द्रन ने कहा कि कौशल प्रशिक्षण को उद्योगों की वर्तमान मांगों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन एनर्जी, सर्कुलर इकोनॉमी और डिजिटल उद्यमिता से जोड़कर प्रदेश के युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना आज की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य कुशल कार्यबल तैयार करने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि विभागों के बीच समन्वय और संसाधनों को सांझा करने से कौशल विकास योजनाओं का प्रभाव और भी बढ़ेगा।
कार्यशाला में विभिन्न विभागों ने अपने-अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी साझा की। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, महिला एवं बाल विकास, किसान कल्याण, सामाजिक न्याय, उच्च शिक्षा, ऊर्जा, खेल एवं युवा कल्याण सहित अन्य विभागों ने अपनी योजनाओं और उनकी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। कई विभागों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि उनके हितग्राही अन्य विभागों द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों से भी लाभान्वित हो सकते हैं।
संत शिरोमणि रविदास ग्लोबल स्किल्स पार्क के संचालक जी.एन. अग्रवाल ने विभाग की प्रमुख पहलों जैसे 7A, QUEST, DISHA, HUNAR, DAKSH, VIDYUT, SRIJAN, PUNARJANI और Project CODE का विस्तृत विवरण दिया। कौशल विकास संचालनालय के अतिरिक्त संचालक एम.जी. तिवारी और मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी एन.पी.एस. सेंगर ने भी अपने-अपने संस्थानों द्वारा संचालित योजनाओं और उपलब्धियों का विवरण साझा किया।
अपर सचिव गिरीश शर्मा ने समापन सत्र में कहा कि यह कार्यशाला कौशल विकास के क्षेत्र में समन्वय और सहभागिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर देने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी विभागों का सक्रिय सहयोग आवश्यक है। हर विभाग को अपनी प्रशिक्षण योजनाओं को आधुनिक युग की चुनौतियों और अवसरों के अनुरूप तैयार करना चाहिए। इस अवसर पर संत शिरोमणि रविदास ग्लोबल स्किल्स पार्क के संचालक अग्रवाल, ग्लोबल स्किल्स पार्क के संचालक (एक्सटर्नल रिलेशन) नीरज सहाय सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।