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पीएससी में गड़बड़ियां रमन राज में होती थी, कांग्रेस सरकार में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही

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मुद्दाविहीन भाजपाई पीएससी की छवि खराब कर रहे-कांग्रेस

रमन राज में 15 साल में मात्र 9 बार पीएससी की परीक्षा हुई थी

विभिन्न विभागों में 80 हजार से अधिक भर्तियों से भाजपा बौखला गयी है

रायपुर (विश्व परिवार)। । पीएससी को लेकर भाजपा स्तरहीन राजनीति कर रही है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भूपेश सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में 5 सालों में 80 हजार से अधिक सरकारी नौकरियों में भर्ती से बौखलाई भाजपा भर्ती प्रणाली में सवाल खड़ा कर अपनी खीझ निकाल रही। कांग्रेस सरकार के खिलाफ मुद्दों की कमी से जूझ रही भाजपा राज्य लोकसेवा आयोग की छवि को खराब करने का काम कर रही है। अपनी राजनैतिक दुकान चलाने के लिये भाजपा प्रदेश के युवाओं की विश्वसनीय संस्था पर गलत आरोप लगा कर राज्य में भ्रम का वातावरण बना रही है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकार ने पीएससी की पारदर्शिता समयबद्धता और निष्पक्षता को बनाये रखने का पुख्ता इंतजाम किया है। छत्तीसगढ़ राज्य लोकसेवा आयोग एक संवैधानिक एजेंसी है, यह एक स्वायत्तशासी संस्था है। कांग्रेस सरकार में हमेशा से ही संवैधानिक संस्थानों की मर्यादा और गरिमा के अनुरूप उनकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखने की जिम्मेदारी, सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। भर्ती, परीक्षा और चयन प्रक्रिया में राज्य सरकार का सीधे तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं रहा है। संवैधानिक संस्थानों, केंद्रीय जांच एजेंसियों और राजभवन तक का राजनीतिक उपयोग भारतीय जनता पार्टी का चरित्र है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता ने रमन राज में 15 साल के कुशासन को भी भोगा है। रमन सरकार के दौरान 2003 और 2005 में पीएससी भर्ती घोटाला भी सर्वविदित है। 2003 के मामले में अभ्यर्थियों के शिकायत पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि रमन सरकार के दौरान उक्त भर्ती में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी साफ दिख रही है, जांच और स्कैलिंग में षडयंत्र पूर्वक किए गए गड़बड़ी को लेकर उच्च न्यायालय ने कड़े कमेंट किए और उस सूची को निरस्त कर मानव विज्ञान की कॉपीयों को पुनः जांचने और फिर से स्कैलिंग कर नई सूची जारी करने का आदेश दिया था। रमन सरकार के दौरान उक्त भर्ती की जांच में यह भी पाया गया कि किसी अभ्यर्थी को 50 नंबर के पूर्णांक के आधार पर तो किसी को उपकृत करने 75 नंबर के पूर्णांक के आधार पर कापियां जांची गई थी। वर्ष 2005 के पीएससी भर्ती के मामले में सभी चयनित अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था।पीएसी के तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी सस्पेंड हुए, बिलासपुर हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने पूरी नियुक्ति सूची को ही निरस्त कर दिया था, लेकिन रमन सरकार की मिलीभगत से सुप्रीम कोर्ट से वह सूची बहाल करा दी गई। आज भी 2005 का मामला न्यायालय में लंबित है स्थानीय युवाओं के हक और हित का गला घोट ना रमन सरकार का चरित्र था।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह के कुशासन में 15 साल में 6 बार पीएससी की भर्ती निरस्त हुई केवल 9 बार ही भर्ती कर पाए। युवाओं के सरकारी नौकरी में रोजगार के अधिकार को आउटसोर्सिंग करके भाजपा की सरकार बेचती रही और आज जब भूपेश सरकार में सरकारी नौकरी में नियमित पद पर भर्ती के अवसर मिल रहे हैं, युवाओं में उत्साह है तो मुद्दाविहीन भाजपाई केवल राजनैतिक लाभ के लिए अनर्गल बयानबाजी करके संवैधानिक संस्थानों को भी बदनाम करने नहीं चूक रहे हैं।

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