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IPO लाने में ऐसे हेरफेर कर रही थीं कंपनियां, PT टीचर के अंदाज में आया SEBI, उठाया डंडा और.

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शेयर मार्केट कभी तेजी से झूमने लगता है तो कभी गिरावट के गोते खाने लगता है. बाजार में तमाम अनिश्चताओं के बाद भी आईपीओ लाने वाली कंपनियां की तादाद बढ़ती जा रही है. बाजार से कमाई का कोई भी मौका गंवाने के मूड़ में नहीं हैं ये कंपनियां. इसलिए आए दिन बाजार में कोई ना कोई आईपीओ लॉन्च हो रहा है. उधर, बाजार में नए-नए आईपीओ आने के चलते बाजार नियामक सेबी हेडमास्टर की भूमिका में आ गया है. सेबी ने आईपीओ लाने के नियमों में कुछ सख्ती की है. कंपनियों के कागजों की बारीक निगरानी की जा रही है. इसका नतीजा है कि सेबी ने पिछले कुछ समय में छह कंपनियों के आईपीओ आवेदन को रद्द कर दिया है.

जानकार बताते हैं कि सेबी बाजार पर सख्त निगाह रखे हुए है, खासकर नए आईपीओ लाने वाली कंपनियों पर. जैसे एग्जाम के समय स्टूडेंट के एग्जाम पेपर की बड़ी बारीकाई से जांच की जाती है, उसी तरह सेबी भी आईपीओ आवेदनों की गहनता से जांच कर रही है. कागजों में कुछ भी खामी पाए जाने पर एप्लीकेशन को फौरन रिजेक्ट कर दिया जाता है. सेबी का कहना है कि बाजार से पैसा जुटाने के चक्कर में कंपनियां लोगों को गुमराह कर रही हैं.

जानकारी के मुताबिक पिछले साल 2023 में 57 आईपीओ बाजार में आए थे, जबकि उससे एक साल पहले 2022 में 40 आईपीओ लॉन्च हुए. और साल भी एक-डेढ़ महीने के भीतर 8 आईपीओ आ चुके हैं और लगभग 40 आईपीओ लाइन में हैं.

सेबी ने अपनी जांच में पाया कि कंपनियां बिना किसी ठोस कारण के आईपीओ ला रही हैं. आईपीओ लाने के बारे में कंपनियों से पूछताछ भी की गई तो कोई ठोस कारण नहीं मिला. सेबी का कहना है कि किसी भी कंपनी के पास आईपीओ लाने का ठोस कारण होना चाहिए. सेबी ने बताया कि अधिकांश आईपीओ केवल कंपनियों के कर्ज का भुगतान करने, पूंजीगत खर्चों और कॉरोपोरेट खर्चों को पूरा करने के लिए लाए जा रहे हैं.

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