Home छत्तीसगढ़ भारत को मिले राष्ट्रभाषा की पहचान -कैलाश रारा

भारत को मिले राष्ट्रभाषा की पहचान -कैलाश रारा

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रायपुर (विश्व परिवार)। हिंदी दिवस के अवसर पर मैं भारत हूं फाउंडेशन की तत्वावधान में स्थानीय वृंदावन हॉल में “हिंदी का बढ़ता वैश्विक स्तर” विषयक संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें कार्यक्रम संयोजक कैलाश रारा ने प्रश्न उठाया कि राष्ट्र का संविधान है, राष्ट्र की संसद है फिर राष्ट्र की भाषा क्यों नहीं है। एक सम्प्रभु राष्ट्र को उसकी भाषायी पहचान मिलनी ही चाहिए।
मुख्य वक्ता गिरीश पंकज ने बताया कि भाषा और राष्ट्र का बहुत गहरा संबंध होता है भाषा से ही राष्ट्र की पहचान है, इस बात की पुष्टि हमारा ऋग्वेद भी करता है।
पाटनी फाउंडेशन के अध्यक्ष सुरेंद्र पाटनी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा के प्रति जो जज्बा वर्तमान सरकार का है वह पूर्ववर्ती सरकारों का होता तो हिंदी अब तक भारत की राष्ट्रभाषा बन जाती और महात्मा गांधी का सपना साकार हो जाता। अंतराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के महामंत्री राजकुमार राठी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जी-20 में जिस प्रकार प्रधानमंत्री जी ने ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ शब्द का उपयोग किया उससे लगता है कि हिंदी अब शीघ्र ही राष्ट्र की भाषा बनेगी। अक्षय ऊर्जा के मुख्य अभियंता संजीव जैन ने कहा कि विश्व बाजार में भारत के पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने से विदेशियों के मन में हिंदी के प्रति व्यामोह उत्पन्न हो गया है। श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन महिला महासभा की प्रांतीय अध्यक्ष उषा गंगवाल ने बतलाया कि अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी अब यह स्वीकार कर लिया है कि भविष्य में कंप्यूटर की कोई भाषा बन सकती है तो वह हिंदी ही हो सकती है, क्योंकि वह ध्वन्यात्मक है तथा 3000 धातुओं से बनी हुई व्यापक भाषा है।
मोहनलाल बाकलीवाल फाउंडेशन के अध्यक्ष ज्ञानचंद पाटनी ने कहा कि विगत दशक में हिंदी ने विश्व पटल पर जो स्थान बनाया है, उस रथ का पहिया अब रुकने वाला नहीं है। राष्ट्रीय कवि संगम की महामंत्री एवं दलित साहित्य की प्रख्यात लेखिका उर्मिला की उर्मी ने बतलाया कि देखते जाइए बहुत थोड़े से दिन की बात है, हिंदी अब दासी बनकर नहीं बल्कि महारानी बनाकर राज करेगी। दिगंबर जैन पंचायत के महामंत्री राजेश रज्जन ने कहा कि मुद्दा भाषा का हो अथवा राष्ट्रवाद का हमारा जुनून जागृत हो तो सफलता एक दिन मिलती ही है। छोटे-छोटे अभियान ही बड़ी जन जागृति में तब्दील हो जाते हैं। सुप्रसिद्ध मंच संचालक लक्ष्मी नारायण लाहोटी ने कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा होने के कारण मात्र तुल्य पूज्य है, हमें इस पर गर्व है।
हिंदी की इस संगोष्ठी में डॉ. हेमू यदु, फिल्म निर्माता संतोष जैन, वर्धमान सुराना, राजेंद्र स्वस्तिक, पवन रारा, महेंद्र सेठी, अनिल काला, लखनलाल बानी, अनुराग जैन, छबिलाल सोनी एवं एम.एल. शर्मा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
कार्यक्रम में मंच का संचालन श्रीमती ममता जैन ने किया तथा आभार प्रदर्शन छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष भारत जैन के द्वारा किया गया।

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