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दिल्ली चुनाव: भले ही मुकाबला आप- भजपा और कांग्रेस के बीच हो लेकिन कई छोटे दल भी चुनाव दिलचस्प बनाएंगे

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नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भले ही मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच हो, लेकिन कई छोटे दल और निर्दलीय भी जंग को और दिलचस्प बनाने में जुटे हैं। देशभर में मुसलमानों की प्रमुख पार्टी बनने की कोशिश कर रही ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) दिल्ली में करीब 10 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। ओखला से जंगपुरा तक पार्टी उन सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है जहां मुस्लिम वोटर्स की आबादी अच्छी है और हार-जीत में उनकी भूमिक अहम है। एआईएमआईएम मुस्तफाबाद और ओखला में दो उम्मीदवारों को उतार चुकी है। पार्टी ने मुस्तफाबाद से दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को टिकट दिया है तो ओखला में आप नेता अमानतुल्लाह खान के खिलाफ शफाउर रहमान खान को उतारा है। पार्टी दिल्ली दंगों के एक और आरोपी शाहरुख पठान को भी टिकट दे सकती है।

इन 10 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है AIMIM
एआईएमआईएम जहां मुस्तफाबाद और ओखला में उम्मीदवार का ऐलान कर चुकी है। इसके अलावा पार्टी बाबरपुर, बल्लिमारान, चांदनी चौक, जंगपुरा, सदर बाजार, मटिया महल, करावल नगर और सीलमपुर में अपने प्रत्याशी लड़ा सकती है।

सिसोदिया से अमानतुल्लाह खान तक की बढ़ सकती है चुनौती
ओवैसी के ऐसे उम्मीदवारों से ध्रुवीकरण बढ़ने और 'आप' को नुकसान पहुंचने की आशंका जाहिर की जा रही है, क्योंकि 2013 से अधिकतर मुस्लिम वोटर्स अरविंद केजरीवाल की पार्टी का साथ देते रहे हैं। खास तौर पर तीन सीटों पर एआईआईएमआईएम ने 'आप' की चिंता बढ़ा सकती है जहां पार्टी के तीन प्रमुख चेहरे चुनाव लड़ रहे हैं। जंगपुरा से पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, बाबरपुर से मंत्री गोपाल राय और ओखला से सबसे प्रमुख मुस्लिम चेहरे अमानतुल्लाह खान चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के दमखम लगाने से पहले ही 'आप' को नुकसान की आशंका है। ऐसे में यदि ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब होते हैं तो अरविंद केजरीवाल की चिंता बढ़ सकती है।

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