Home मध्यप्रदेश उम्मीदों का नया रुरल हाई-वे: सड़क बनी जनजातीय जीवन की लाइफलाइन

उम्मीदों का नया रुरल हाई-वे: सड़क बनी जनजातीय जीवन की लाइफलाइन

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भोपाल
बालाघाट जिले के सुदूरवर्ती जनजातीय (रिमोट) इलाकों में कभी पक्की सड़कों की बेहद कमी थी। बारिश में कच्चे रास्ते कीचड़ में तब्दील हो जाते और ग्रामीणों का सम्पर्क तहसील और जिला मुख्यालय से पूरी तरह कट जाता था। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों तक पहुंचना तो दूर की बात, राशन-पानी लेने या बीमार मरीज को अस्पताल पहुंचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत भंडेरी से अडोरी तक बनी 32.656 किमी लंबी सड़क ने इन चुनौतियों को हमेशा के लिए दूर कर दिया।

सपनों का जुड़ाव : 7 सड़कों का एक जंक्शन
यह सड़क अब अकेली नहीं रही। इस पर 7 अन्य सड़कों के जंक्शन बने हैं, जो कुल मिलाकर 50.37 किमी लंबी हैं। ये सड़कें ग्राम मोहबट्टा, करवाही, पाथरी, नव्ही, अडोरी, कोरका और धरमशाला जैसे दूरस्थ गांवों को आपस में जोड़ती हैं। अब यह इलाका बारहमासी रोड़ नेटवर्क से जुड़ गया है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और व्यापार के लिए लाइफलाइन का काम कर रहा है। इन सड़कों के जरिए 10 हजार से अधिक क्षेत्रीय ग्रामीणों का जीवन अब बेहद सरल और आसान हो गया है।

राशन और स्वास्थ्य सेवाओं की आसान पहुंच
सड़क के बनने से 30 से अधिक गांवों के लोग अब आसानी से उचित मूल्य की दुकानों से राशन प्राप्त कर पा रहे हैं। करीब 4 हजार राशन कार्ड धारकों को अब राशन लेने के लिए दुर्गम रास्तों पर नहीं भटकना पड़ता। स्वास्थ्य सुविधाओं की सहज बहाली के मामले में यह सड़क वरदान साबित हुई है। इस सड़क के प्रबल दायरे में आने वाले स्वास्थ्य केंद्रों पर अब प्रतिदिन 500 से अधिक रोगी आसानी से हास्पिटल पहुंच रहे हैं। पहले मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए कई घंटे लगते थे, अब यह काम कुछ मिनटों में हो रहा है।

व्यापार और पर्यटन को मिल रहा बढ़ावा
ग्राम भंडेरी से अडोरी रोड सिर्फ स्थानीय ग्रामीणों के लिए ही नहीं, बल्कि बड़े कस्बों और शहरों के व्यापारियों और पर्यटकों के लिए भी वरदान साबित हो रही है। गांवों तक व्यापारियों की पहुंच से स्थानीय उत्पादों का बाजार बड़ा हुआ है। वहीं पर्यटक भी अब इन रिमोट जनजातीय इलाकों की प्राकृतिक सुंदरता को नजदीक से देखने के लिए आकर्षित हो रहे हैं।

बदलाव का अनुभव भी बड़ा
65 वर्षीया श्रीमती कालीबाई, जो कभी घने जंगलों और कच्चे रास्तों पर 10 किलोमीटर पैदल चलकर राशन लेने जाती थीं, अब अपनी पोती के साथ मोटरसाइकिल पर आसानी से राशन की दुकान पहुंच जाती हैं। वहीं 8 वर्षीय राहुल, जो कभी स्कूल तक की दूरी तय करने में थक जाता था, अब हर दिन खुशी-खुशी मिनटों में स्कूल पहुंच जाता है। जिले के बिरसा ब्लॉक के किसान श्री रामलाल बताते हैं, "पहले हमारी फसल मंडी तक पहुंचाने में हफ्ते लगते थे, अब कुछ ही घंटों में फसल मंडी पहुंच जाती है।"

समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ रहे कदम
यह सड़क न केवल दो जनजातीय जनपदों के बीच एक बारहमासी सम्पर्क सेतु है, बल्कि यह क्षेत्र के विकास, समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह सड़क उन हजारों लोगों की उम्मीदों के सपनों को पूरा कर रही है, जो अब एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ रहे हैं। सच्चे अर्थों में यह सड़क उम्मीदों का नया रुरल हाई-वे बनकर विकास का विशाल जंक्शन बन गई हैं।

 

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