Home धर्म मोक्षदा एकादशी पर मनाई जाती है गीता जयंती

मोक्षदा एकादशी पर मनाई जाती है गीता जयंती

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हिन्दू धर्म में गीता जयंती का बहुत अधिक महत्व है. मोक्षदा एकादशी इस बार 11 दिंसबर को है. मोक्षदा एकादशी पर ही गीता जंयती भी मनाई जाती है. कथाओं के अनुसार, मोक्षदा एकादशी पर ही महाभारत काल के दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था. गीता में सभी वेद उपनिषद और पुराणों का सार समाया हुआ है. मोक्षदा एकादशी पर भगवान कृष्ण के अर्जुन को गीता का उपदेश देने के कारण ही इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है.

गीता जयंती का धार्मिक और अध्यातमिक दोनों महत्व है. हम आज बताने जा रहे हैं कि गीता जंयती के अवसर पर आपको घर में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, ताकि इस दिन आपसे किसी प्रकार की कोई भूल न हो और जीवन में किसी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े.

गीता जयंती के दिन क्या करें

    गीता जयंती के दिन आप मोक्षदा एकादशी का व्रत करें. ये व्रत करने से आपके पितरों को मोक्ष प्राप्त होगा. साथ ही घर में सुख-शांति का वास होगा.
    गीता जयंती के दिन घर को साफ सुथरा रखें. साथ ही पूजा वाली जगह को साफ करके भगवान श्री कृष्ण का ध्यान लगाएं.
    इस दिन गाय की सेवा करें. गरीबों को खाना खिलाएं और दान- पुण्य करें.
    गीता जयंती पर घर में पूजा आयोजित करें. योग साधना करें इससे आपका मन शांत और आत्मा उन्नत होगी.
    इस दिन गीता के किसी एक अध्याय को अवश्य पढ़ें. भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें. गीता के श्लोकों का उच्चारण भी करें.
    इस दिन घर में सभी लोगों को गीता का पाठ अवश्य करना है. अगर मुमकिन हो तो किसी मंदिर में जाकर भी सुन सकते हैं.
    इस दिन आप गीता के तमाम उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प करें.

न करें ये काम

    अगर आपके घर में श्रीमद्भगवद्गीता है, तो उसे कभी भी जमीन पर नहीं रखाना चाहिए. गीता को हमेशा चौकी या स्टैंड पर रखें.
    श्रीमद्भगवद्गीता को हमेशा लाल और स्वच्छ कपड़े में लपेटकर ही रखना चाहिए.
    बिना स्नान किए गंदे हाथों, या मासिक धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता को न छूएं. ऐसा करने से आप पाप के भागी बनेंगे.
    श्रीमद्भगवद्गीता को पढ़ने के बाद हमेशा बंद करके ही रखें.
    दिन में कभी भी श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें, लेकिन ध्यान रहे जो अध्याय पढ़ रहें है उसे बीच न छोड़ें. पूरा अध्याय पढ़ने के बाद ही उठें.
    बिना भगवान गणेश और श्री कृष्ण को याद किए श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ शुरू न करें.

 

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