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कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों ने बनाया अपना नया ‘अड्डा’, भारत के खिलाफ रच रहे बड़ी साजिश

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खालिस्तानी अलगाववादी आतंकियों ने जनमत संग्रह (रिफ्रेंडम) के जरिए कनाडा के गुरुद्वारों को अपने भारत विरोधी एजेंडे का अड्डा बना लिया है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद ही सरे गुरुद्वारे से इस एजेंडे को हवा देने की शुरुआत हुई है. अब खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक कनाडा के 8 और गुरुद्वारों में इस साजिश को फैलाने का प्लान बनाया गया है.

सूत्रों ने बताया कि कनाडा में 8 ऐसे गुरुद्वारे हैं जिसमें खालिस्तानी अलगाववादी आतंकियों का सीधा प्रभाव है, जिसमें सरे का गुरुद्वारा प्रमुख है, जिसकी कमेटी का मुखिया आतंकी हरदीप सिंह निज्जर था. पीएम ट्रूडो बयान के बाद सरे गुरुद्वारे में कुछ दिनों पहले भारत विरोधी पोस्टर लगाए गए थे, जिसके बाद भारत सरकार ने जब आपत्ति जताई तो वहां के स्थानीय प्रशासन के दबाव के बाद उन्हें हटाया गया.

अब खुफिया सुरक्षा एजेंसियों को अहम जानकारी मिली है कि कम से कम 8 ऐसे कनाडा में गुरुद्वारे हैं जिनको खालिस्तानी अलगाववादी आतंकियों ने अपनी साजिश का केन्द्र चुना है. इनके जरिए शुरुआती टारगेट कनाडा में रहने वाले 5000 सिख हैं, जिनको भड़काने की साजिश रची जा रही है.. ये गुरुद्वारे सरे, ब्रिटिश कोलंबिया, ब्रैंपटन और अबोट्सफोर्ड में हैं.

ज्यादातर गुरुद्वारे जो खालिस्तानी अलगाववादी आतंकियों के निशाने पर हैं, वो नॉन प्रॉफिट गुरुद्वारे हैं जिनका मैनेजमेंट चुनाव के जरिए तय होता है और इन्हीं को खालिस्तानी अलगाववादी आतंकी निशाना बना रहे हैं. गुरुद्वारा दशमेश दरबार, गुरुनानक सिख टेंपल, डिक्सी गुरुद्वारा, प्रमुख गुरुद्वारा हैं जहां पिछले एक महीने में भारत विरोधी गतिविधियों की जानकारी मिली है. ये जानकारी मिलने के बाद भारतीय एजेंसियों ने भी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है और कनाडा सरकार को इस बाबत सारी सूचना मुहैया करवाई जा रही है.

ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में 18 जून को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की ‘संभावित’ संलिप्तता के संबंध में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद सितंबर महीने में भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया था. इसके बाद कनाडा और अन्य देशों में कनाडाई नागरिकों के लिए सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं. भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘निहित स्वार्थों से प्रेरित’ बताकर खारिज कर दिया था.

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