Home छत्तीसगढ़ जनता की गिल्ली और घोटालों का डंडा, भूपेश का एक ही फंडा

जनता की गिल्ली और घोटालों का डंडा, भूपेश का एक ही फंडा

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  •  मुख्यमंत्री ने कांग्रेसियों को खिलाई कमीशन की कैंडी- संजय श्रीवास्तव
रायपुर (विश्व परिवार)। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं सरगुजा संभाग प्रभारी संजय श्रीवास्तव ने आज भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में मीडिया से मुखातिब होते हुए अनोखे अंदाज में भूपेश बघेल सरकार के मंत्रियों और सरकार की घोटालेबाजी का चित्रण किया। भाजपा प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल के साथ प्रेस ब्रीफ में उन्होंने उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, मंत्री मोहन मरकाम और मंत्री पद से हटाकर योजना आयोग के अध्यक्ष बनाए गए प्रेमसाय सिंह टेकाम के मुखौटे के साथ इनका चरित्र चित्रण किया और कोयले ठेके, शराब की दलाली, सिलसिलेवार एक-एक घोटाले पर तथ्य पेश करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का चेहरा एक बार फिर जनता के सामने उजागर हो गया है।
कोल घोटाला – करोड़ों का कोल घोटाला किया। जिसकी आंच मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुंची और उनकी उपसचिव के साथ 2 आईएएस आज भी जेल में हैं और कोर्ट से जमानत तक नहीं मिल रही है।
शराब घोटाला –  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अनवर ढेबर को करोड़ों की कैंडी खिलाई और शराबबंदी का वादा पूरा न कर छत्तीसगढ़ की माताओं और बहनों के जीवन को क्रैश करने का काम किया है।
महादेव सट्टा ऐप की काली कमाई को मुख्यमंत्री के करीबी लोगों को कैंडी खिलाई और युवाओं को सट्टे की लत लगाकर उनके भविष्य को क्रैश करने का काम किया है।
टीएस सिंहदेव को छलावे की कैंडी खिलाकर 3 महीने के लिए उपमुख्यमंत्री बनाया। लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के सपने को क्रैश करने का काम किया है।
मोहन मरकाम ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के क्रैश को उजागर किया तो उन्हें भी 3 माह का दिखावे का मंत्री बना कर कैंडी खिलाने के काम किया गया।
प्रेम साय टेकाम को योजना आयोग का अध्यक्ष बनाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें भी कैंडी खिलाने का काम किया है।
पीएससी में गड़बड़ी कर के अपने करीबियों को नौकरी देकर कैंडी खिलाई और छत्तीसगढ़ के युवाओं के भविष्य को क्रैश करने का काम किया।
आवास घोटाला छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना से 16 लाख गरीब परिवारों को वंचित रखकर उनके अपने आवास होने की उम्मीद को क्रैश करने का काम किया। लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री आवास योजना की कैंडी देने का काम किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता को गिल्ली समझकर डंडा चलाने वाले ठगेश खुद कैंडी क्रैश खेल रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले पांच सालों से कमीशन की कैंडी खा रहे हैं। लेकिन जनता के हितों को क्रैश कर रहे हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और सरगुजा संभाग प्रभारी श्री श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री बघेल का कैंडी क्रश खेलते चित्र सामने आने पर कहा कि इससे मुख्यमंत्री बघेल का दोहरा आचरण सामने आया है और वह भी कांग्रेस के मित्रों द्वारा सामने लाया गया। ये डुप्लीकेट चीजें बाहर आनी ही चाहिए। कांग्रेस कार्यालय में यदि कोई बैठक होती है और फोटो वायरल होती है तो जाहिर है भाजपा का कार्यकर्ता तो वहाँ होगा नहीं। कोई कांग्रेस का कार्यकर्ता ही होगा, जिसने फोटो दी। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि जब यह विषय भाजपा के संज्ञान में आया, तब सवाल उठने शुरू हुए। यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री बघेल भौंरा खेलें, बाँटी खेलें, गेड़ी चढ़ें, लेकिन सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन केवल छत्तीसगढ़ के लोग करेंगे? और मुख्यमंत्री यदि खेल रहे हैं तो अपने मोबाइल पर अंग्रेजी गेम खेल रहे हैं! मुख्यमंत्री बघेल पर अंग्रेजियत का आरोप तो है ही, लेकिन अब वास्तविकता भी दिख गई। मुख्यमंत्री अपने मोबाइल पर जो भारतीय खेल हैं, वह भी खेल सकते थे। तमाम भारतीय खेल सोशल प्लेटफार्म पर भी हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के खेल का चयन कैंडी क्रश है जिसे वह अपना रुचि और पसंद का खेल भी बताया है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व सरगुजा संभाग प्रभारी श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री कैंडी क्रश और अंग्रेजी गेम खेलकर छत्तीसगढ़ की भावनाओं से खेल रहे हैं। मुख्यमंत्री बघेल प्रदेश को इस बात का जवाब दें कि अगर उनका शौक कैंडी क्रश और अंग्रेजी खेल हैं तो फिर खुद को छत्तीसगढ़िया बताने के लिए प्रदेश के खजाने का हजारों करोड़ रुपया विज्ञापनों पर क्यों बहाया? श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल का चेहरा एक बार फिर जनता के सामने उजागर हो गया है। छत्तीसगढ़ की जनता को गिल्ली डंडा खिलाने वाले ठगेश खुद कैंडी क्रैश खेल रहे है। भूपेश सरकार पिछले पाँच सालों से कमीशन की कैंडी खा रही है और जनता के हितों को क्रश कर रही है। कांग्रेस की इस भूपेश सरकार ने करोड़ों का कोल घोटाला किया जिसकी आँच मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुँची और उनकी उपसचिव के साथ दो आईएएस आज जेल में है और कोर्ट से जमानत तक नहीं मिल रही है।

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